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पहले पेज का विषय | आखिर किस लिए जीऊँ?

क्योंकि एक आशा है

क्योंकि एक आशा है

“नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन 37:11.

बाइबल भी यह मानती है कि ज़िंदगी ‘दुख से भरी रहती है।’ (अय्यूब 14:1) आज हर कोई किसी-न-किसी मुसीबत से घिरा है। मगर कुछ लोगों को लगता है कि अब उनके लिए कोई आशा नहीं रही, उनकी ज़िंदगी का अंधेरा कभी नहीं छटेगा, कभी नहीं उनकी ज़िंदगी रौशन होगी। क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? अगर हाँ, तो यकीन रखिए बाइबल सच्ची आशा देती है, न सिर्फ आपको बल्कि सभी इंसानों को। मिसाल के लिए:

  • बाइबल सिखाती है, परमेश्वर का मकसद था कि हम एक बेहतर ज़िंदगी जीएँ।—उत्पत्ति 1:28.

  • परमेश्वर यहोवा वादा करता है कि वह इस धरती को फिरदौस बना देगा, जहाँ कोई दुख-तकलीफ नहीं होगी।—यशायाह 65:21-25.

  • परमेश्वर का यह वादा ज़रूर पूरा होगा। प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 में कहा गया है:

    “देखो! परमेश्वर का डेरा इंसानों के बीच है। वह उनके साथ रहेगा और वे उसके लोग होंगे। और परमेश्वर खुद उनके साथ होगा। और वह उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”

बाइबल की यह आशा कोई सपना नहीं है। इसे हकीकत में बदलना ही परमेश्वर यहोवा का मकसद है। उसके पास ऐसा करने की ताकत है और वह ऐसा करना भी चाहता है। बाइबल की यह आशा वाकई भरोसेमंद है। यह उन लोगों को जीने की ज़बरदस्त वजह देती है जिनके मन में सवाल उठता है, “आखिर किस लिए जीऊँ?”

याद रखिए: हो सकता है हमारी भावनाएँ समुद्री तूफान की तरह ज़बरदस्त हों जो एक नाव को उलट-पुलटकर रख देता है। मगर बाइबल में दी आशा एक लंगर की तरह है जो हमारी ज़िंदगी की नाव को सँभाले रखती है।

आज आप क्या कर सकते हैं: यह जानने की कोशिश कीजिए कि बाइबल भविष्य के बारे में क्या सच्ची आशा देती है। यहोवा के साक्षियों को इस सिलसिले में आपकी मदद करने में खुशी होगी। आप चाहें तो अपने इलाके के यहोवा के साक्षियों से संपर्क कर सकते हैं या फिर उनकी वेबसाइट jw.org * पर जाकर फायदेमंद जानकारी ले सकते हैं। ▪ (g14-E 04)

^ पैरा. 11 सुझाव: आप jw.org वेबसाइट पर प्रकाशन > ऑनलाइन लाइब्रेरी वाले भाग में जाकर शब्द “निराशा” या “खुदकुशी” टाइप करके ज़्यादा जानकारी पा सकते हैं।