नीतिवचन 22:1-29

22  एक अच्छा नाम बेशुमार दौलत से बढ़कर है+और आदर* पाना सोना-चाँदी पाने से कहीं अच्छा है।   अमीर और गरीब में एक बात मिलती-जुलती है,* दोनों को यहोवा ने रचा है।+   होशियार इंसान खतरा देखकर छिप जाता है,मगर नादान बढ़ता जाता है और अंजाम* भुगतता है।   नम्र होने और यहोवा का डर मानने से,दौलत, आदर और जीवन मिलता है।+   टेढ़े इंसान की राह में काँटे और फंदे बिछे होते हैं,लेकिन जिसे अपनी जान प्यारी है वह इनसे दूर रहता है।+   लड़के* को उस राह पर चलना सिखा, जिस पर उसे चलना चाहिए+और वह बुढ़ापे में भी उससे नहीं हटेगा।+   अमीर, गरीब पर राज करता हैऔर उधार लेनेवाला, उधार देनेवाले का गुलाम होता है।+   जो बुराई बोता है वह विपत्ति की फसल काटेगा+और जिस छड़ी से वह कहर ढाता है वह टूट जाएगी।+   दरियादिल इंसान पर आशीषें बरसेंगी,क्योंकि वह गरीबों के साथ अपना खाना बाँटता है।+ 10  ठट्ठा करनेवाले को भगा दे, तब झगड़ा मिट जाएगा,बहसबाज़ी* और अपमान का अंत हो जाएगा। 11  जिसकी बोली मनभावनी है और जिसे साफ दिल पसंद है,राजा उसका दोस्त होता है।+ 12  यहोवा, बुद्धि* से काम लेनेवालों की हिफाज़त करता है,लेकिन छल-कपट करनेवाले की बातें उलट देता है।+ 13  आलसी कहता है, “बाहर शेर है! अगर मैं चौक पर गया तो पक्का मारा जाऊँगा।”+ 14  बदचलन* औरत का मुँह गहरी खाई है+ और यहोवा जिसे धिक्कारता है वह उसमें जा गिरेगा। 15  लड़के* के मन में मूर्खता बसी होती है,+लेकिन शिक्षा की छड़ी उसे दूर कर देगी।+ 16  जो गरीब को लूटकर अपने भंडार भरता है+और जो अमीर को तोहफे देता है,वे दोनों ही गरीब हो जाएँगे। 17  बुद्धिमान की बातों पर कान लगा+ताकि तू मेरी सिखायी बातों पर पूरे दिल से चल सके।+ 18  इन्हें संजोए रख, तब तुझे खुशी मिलेगी+और ये हमेशा तेरे होंठों पर बनी रहेंगी।+ 19  मैंने आज ये बातें तुझे बतायी हैंताकि तेरा भरोसा यहोवा पर हो। 20  मैंने पहले भी बहुत-सी सलाहऔर ज्ञान की बातें तुझे लिखी थीं 21  कि तू सच्ची और भरोसेमंद बातें सीखेऔर अपने भेजनेवाले के पास सही-सही जानकारी ले जाए। 22  गरीब को गरीब जानकर मत लूट,+शहर के फाटक पर दीन-दुखियों को मत कुचल।+ 23  क्योंकि खुद यहोवा उनका मुकदमा लड़ेगा+और जो उन्हें लूटते हैं उन्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। 24  गरम मिज़ाजवाले के साथ मत रहऔर जो बात-बात पर भड़क उठता है उससे दोस्ती मत रख, 25  कहीं ऐसा न हो कि तू उसके जैसी चाल चलने लगेऔर यह तेरे लिए फंदा साबित हो।+ 26  उन लोगों जैसा मत बन, जो हाथ मिलाकरदूसरों का कर्ज़ चुकाने का ज़िम्मा लेते हैं।*+ 27  क्योंकि अगर तेरे पास चुकाने के लिए कुछ न हो,तो तेरा बिस्तर भी तुझसे छीन लिया जाएगा। 28  बरसों पहले जो सीमा-चिन्हतेरे पुरखों ने ठहराया था, उसे मत खिसकाना।+ 29  क्या तूने ऐसे आदमी को देखा है जो अपने काम में माहिर है? वह किसी मामूली इंसान के सामने नहीं,राजा-महाराजाओं के सामने खड़ा होगा।+

कई फुटनोट

शा., “मंज़ूरी।”
शा., “एक-दूसरे से मिलते हैं।”
या “सज़ा।”
या “बच्चे; जवान।”
या “मुकदमे।”
शा., “ज्ञान।”
शा., “परायी।”
या “बच्चे; जवान।”
या “दूसरों का ज़ामिन बनते हैं।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो