गीत 75
“मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज!”
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1. इलज़ाम लगाते हैं झूठे,
बदनाम यहोवा को करते।
कोई कहे वो निर्दयी,
मूरख कहे, ‘ईश्वर नहीं।’
आरोप सारे मिटाए कौन?
उसकी महिमा करे कौन?
(कोरस 1)
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे!
गुण गाऊँगा सदा तेरे।
इससे बड़ा मान मिले कहाँ?
भेज मुझे, मैं हूँ यहाँ!’
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2. आज दावा करते लोग ऐसा,
‘यहोवा परवाह ना करता।’
पत्थरों को कोई पूजे,
भक्-ति कोई देश की करे।
अब दुष्टों को चिताए कौन?
युद्ध याह का ऐलाँ करे कौन?
(कोरस 2)
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे!
ऐलाँ करूँ बिना डरे।
इससे बड़ा मान मिले कहाँ?
भेज मुझे, मैं हूँ यहाँ!’
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3. आज नेक इंसाँ आहें भरते,
देख के बुराई को बढ़ते।
सच्-चा-ई के प्यासे हैं वो,
तरसते मन की शांति को।
देगा इन्हें दिलासा कौन?
नेक राह इन्हें दिखाए कौन?
(कोरस 3)
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे!
सिखाऊँ धीरज से उन्हें।
इससे बड़ा मान मिले कहाँ?
भेज मुझे, मैं हूँ यहाँ!’