यहूदियों का कत्लेआम क्यों हुआ? ईश्वर ने इसे रोका क्यों नहीं?
सन् 1940 से 1945 के बीच बेरहमी से कई यहूदियों का कत्लेआम किया गया। इसमें कई लोगों ने अपने अज़ीज़ों को खो दिया। उस घटना के बारे में सोचकर उनके मन में यही सवाल आता है कि ईश्वर ने यह सब रोका क्यों नहीं? पर इन लोगों को बस अपने सवालों का जवाब नहीं चाहिए, बल्कि दिलासा चाहिए। और कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका इस कत्लेआम की वजह से ईश्वर पर से भरोसा ही उठ गया है।
परमेश्वर और यहूदियों के कत्लेआम के बारे में कुछ गलत धारणाएँ
गलत धारणा: हमें यह सवाल नहीं करना चाहिए कि ईश्वर ने ऐसा क्यों होने दिया।
सच्चाई: ईश्वर के उपासकों ने भी परेशान होकर ऐसे सवाल किए हैं। जैसे हबक्कूक नाम के एक सेवक ने एक बार परमेश्वर से पूछा, “तू क्यों मुझे बुरा ही दिखाता है? क्यों अत्याचार होने देता है? मेरे सामने विनाश और हिंसा क्यों हो रही है? लड़ाई-झगड़े क्यों बढ़ते जा रहे हैं?” (हबक्कूक 1:3) जब हबक्कूक ने ये सवाल किए तो ईश्वर ने उसे डाँटा नहीं, बल्कि उन सवालों को बाइबल में लिखवाया।
गलत धारणा: ईश्वर को कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीएँ या मरें।
सच्चाई: जब लोग बुरे काम करते हैं और दूसरों पर ज़ुल्म करते हैं तो यह देखकर ईश्वर को बहुत दुख होता है। (नीतिवचन 6:16-19) पुराने ज़माने में नूह नाम का एक सेवक था और उस वक्त धरती पर बुराई बहुत बढ़ गयी थी। बाइबल में बताया गया है कि जब परमेश्वर ने यह देखा तो “उसका मन बहुत उदास हुआ।” (उत्पत्ति 6:5, 6) तो सोचिए, जब लाखों बेकसूर यहूदियों का कत्लेआम हुआ तब परमेश्वर को कितना दर्द हुआ होगा।—मलाकी 3:6.
गलत धारणा: ईश्वर यहूदियों को सज़ा दे रहा था।
सच्चाई: यह बात सच है कि ईश्वर ने पहली सदी में यहूदियों के शहर यरूशलेम का नाश होने दिया। (मत्ती 23:37–24:2) लेकिन उसके बाद से ईश्वर ने किसी एक जाति को खास नहीं समझा और न ही किसी एक जाति के लोगों को अलग से सज़ा दी। बाइबल में तो बताया गया है कि परमेश्वर की नज़र में यहूदियों और गैर-यहूदियों के बीच कोई फर्क नहीं।—रोमियों 10:12.
गलत धारणा: अगर ईश्वर प्यार करनेवाला है और बहुत शक्तिशाली है तो उसे तो यह कत्लेआम रोक देना था।
सच्चाई: ईश्वर कभी किसी को दुख-तकलीफें नहीं देता, पर हाँ, वह कुछ समय के लिए ऐसा होने की इजाज़त देता है।—याकूब 1:13; 5:11.
ईश्वर ने यहूदियों का कत्लेआम क्यों होने दिया?
जब इंसानों को बनाया गया था, तब कुछ बड़े मसले खड़े हुए थे। उनके सुलझाए जाने तक ईश्वर ने दुनिया में दुख-तकलीफें रहने दी और यही वजह है कि क्यों उसने यहूदियों का कत्लेआम भी होने दिया। बाइबल में यह भी बताया गया है कि अभी इस दुनिया को ईश्वर नहीं बल्कि शैतान चला रहा है। (लूका 4:1, 2, 6; यूहन्ना 12:31) आइए बाइबल से ऐसी दो बातों पर ध्यान दें जिनसे हम समझ पाएँगे कि ईश्वर ने यहूदियों का कत्लेआम क्यों होने दिया।
परमेश्वर ने इंसानों को फैसले लेने की आज़ादी दी है। जब परमेश्वर ने पहले आदमी और औरत को बनाया तो उसने उन्हें यह तो बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, लेकिन उसने उन्हें यह आज़ादी भी दी कि वे उसकी बात मानेंगे या नहीं। दुख की बात है कि उन्होंने अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल किया। वे खुद यह तय करने लगे कि उनके लिए क्या सही है और क्या गलत। तब से लेकर आज तक इंसानों ने कई गलत फैसले लिए हैं और इन्हीं गलत फैसलों के अंजाम हमें भुगतने पड़े हैं। (उत्पत्ति 2:17; 3:6; रोमियों 5:12) यहूदी धर्म पर लिखी गयी एक किताब (स्टेटमेंट ऑफ प्रिन्सिपल्स ऑफ कन्जर्वेटिव जुड़ाइज़्म) में बताया गया है, “दुनिया में जितनी भी दुख-तकलीफें हैं उनकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इंसानों ने फैसले लेने की अपनी आज़ादी का गलत इस्तेमाल किया।” परमेश्वर चाहता तो वह हमसे यह आज़ादी छीन सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, उसने इंसानों को वक्त दिया कि वे खुद मामलों को निपटाने की कोशिश करें।
कत्लेआम से लोगों को जो नुकसान पहुँचा है, परमेश्वर उसे ठीक कर सकता है और वह ऐसा करेगा भी। परमेश्वर ने वादा किया है कि वह मरे हुए लोगों को दोबारा ज़िंदा करेगा, उन लोगों को भी जो इस कत्लेआम में मारे गए। इसके अलावा, आज भी जिन लोगों को उस कत्लेआम की यादें सताती हैं, परमेश्वर उनकी बुरी यादें मिटा देगा। (यशायाह 65:17; प्रेषितों 24:15) परमेश्वर इंसानों से बहुत प्यार करता है। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि वह ये वादे ज़रूर पूरे करेगा।—यूहन्ना 3:16.
इस कत्लेआम से बचकर निकलनेवाले कई लोगों ने जाना है कि परमेश्वर ने दुख-तकलीफों को क्यों रहने दिया है और वह कैसे सारे नुकसान की भरपाई करेगा। इस वजह से वे परमेश्वर पर अपना विश्वास बनाए रख पाए हैं और एक उम्मीद के साथ जी रहे हैं।