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महामारी में लें चैन की साँस

महामारी में लें चैन की साँस

 क्या आप कोविड-19 के खतरे से परेशान हैं? अगर ऐसा है, तो आप अकेले नहीं हैं। दुनिया-भर में महीनों से लोग इस महामारी के खतरे में जी रहे हैं। डॉ. हान्स क्लूग जो विश्‍व स्वास्थ संगठन का हिस्सा हैं कहते हैं, “कोविड-19 को रोकने के लिए बहुतों ने कई बलिदान किए हैं। ऐसे हालात में हताश और परेशान होना लाज़िमी है, क्योंकि लोग घर में रह-रहकर थक चुके हैं।“

 अगर आप भी इस महामारी के डर से थक गए हैं। तो हिम्मत मत हारिए। ऐसे हालात का सामना करने में बाइबल बहुतों की मदद कर रही है। बाइबल आपकी भी मदद कर सकती है।

 महामारी से होनेवाली थकान क्या है?

 महामारी से होनेवाली थकान लोगों की ज़िदंगी में आए बदलाव और आगे क्या होगा यह ना पता होने की वजह से होती है। लेकिन यह कोई बीमारी नहीं है। हर इंसान में शायद अलग-अलग बदलाव देखने को मिलें, लेकिन आम तौर पर देखे जानेवाले बदलाव हैं:

  •   हिम्मत हार जाना

  •   खाने और सोने की आदतों में बदलाव

  •   छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना

  •   जो काम पहले आसानी से होते थे अब शायद मुश्‍किल लगें

  •   किसी काम में ध्यान न लगा पाना

  •   निराश हो जाना

 महामारी से होनेवाली थकान पर क्यों ध्यान देना ज़रूरी है?

 महामारी से होनेवाली थकान का बुरा असर हम पर और दूसरों पर हो सकता है। अगर हम इस बात पर ध्यान न दें, तो हम इस महामारी से लड़ने की हिम्मत खो सकते हैं और ढीले पड़ सकते हैं। वक्‍त के रहते, हमें लग सकता है कि अब हमें इस बारे में ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। बंदिशों में रहने की वजह से, हम ज़्यादा आज़ादी चाहने लग सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से हम अपनी और दूसरों की जान खतरे में डाल सकते है।

 इस मुश्‍किल दौर में हम सब बाइबल में लिखी इस बात को अच्छी तरह समझ गए होंगे, “मुश्‍किल घड़ी में अगर तू निराश हो जाए, तो तुझमें बहुत कम ताकत रह जाएगी।” (नीतिवचन 24:10) बाइबल में ऐसे सिद्धांत दिए गए हैं, जिनकी मदद से हम मुश्‍किल दौर का सामना कर सकते हैं, यहाँ तक कि इस महामारी का भी।

 बाइबल के कौन-से सिद्धांत महामारी से होनेवाली थकान दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं?

  •   दूरी बनाइए​—पर करीबी रिश्‍ते बरकरार रखिए

     बाइबल क्या कहती है: “सच्चा दोस्त ... मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।”​—नीतिवचन 17:17.

     यह क्यों ज़रूरी है: सच्चे दोस्त एक-दूसरे को मज़बूत करते हैं। (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) इसके उलट, दूसरों से खुद को अलग करना हमारी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं।​—नीतिवचन 18:1.

     इसे आज़माइए: वीडियो कॉल, फोन, ई-मेल या मैसेज करने के ज़रिए अपने दोस्तों से बातचीत करते रहिए। जब कभी आपका दिन अच्छा नहीं गुज़रता तो इस बारे में अपने दोस्तों से बात कीजिए और समय-समय पर उनसे भी उनका हाल-चाल लेते रहिए। एक-दूसरे को बताइए कि महामारी का सामना करने के लिए आपने क्या तरीके अपनाए हैं। अपने दोस्त के लिए कुछ ऐसा कीजिए जिससे कि उनका और आपका दिन बन जाए।

  •   इस वक्‍त का पूरा फायदा उठाइए

     बाइबल क्या कहती है: “अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करो।”​—इफिसियों 5:16.

     यह क्यों ज़रूरी है: अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करने से आप सही नज़रिया बनाए रख पाएँगे और बेवजह चिंता करने से बचेंगे।—लूका 12:25.

     इसे आज़माइए: इस बात पर ध्यान देने के बजाय कि आप क्या नहीं कर पा रहे हैं, सोचिए कि आप इस वक्‍त का पूरा फायदा कैसे उठा सकते हैं। जैसे कि, क्या ऐसे कोई काम या शौक हैं जिन्हें आप अब पूरा कर सकते हैं? क्या आप अपने परिवार के साथ ज़्यादा वक्‍त बिता सकते हैं?

  •   शेड्यूल के मुताबिक काम कीजिए

     बाइबल क्या कहती है: “सब बातें ... अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक हों।”—1 कुरिंथियों 14:40.

     यह क्यों ज़रूरी है: अकसर लोगों को अपने रोज़मर्रा के काम करने से तब ज़्यादा खुशी मिलती है, जब वे इनके लिए एक समय ठहराते हैं।

     इसे आज़माइए: आज के हालात को ध्यान में रखते हुए एक शेड्यूल बनाइए। तय कीजिए कि कब आप स्कूल का, बाहर का काम और घर का काम करेंगे। साथ ही परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को मज़बूत करने के लिए भी वक्‍त निकालिए। आप अपने शेड्यूल में इन कामों के लिए भी वक्‍त तय कर सकते हैं, जैसे कि परिवार के साथ समय बिताना, बाहर निकलना या कसरत करना। समय-समय पर अपने शेड्यूल की जाँच कीजिए और अगर ज़रूरत लगे तो उसे बदलते रहिए।

  •   मौसम के अनुसार बदलाव कीजिए

     बाइबल क्या कहती है: “होशियार इंसान खतरा देखकर छिप जाता है।”​—नीतिवचन 22:3.

     यह क्यों ज़रूरी है: आपके इलाके के मौसम का आप पर बहुत असर पड़ता है। हो सकता है कि मौसम बदलने की वजह से आप ताज़ी हवा और धूप न ले पाते हों, जो कि आपके शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए ज़रूरी होता है।

     इसे आज़माइए: अगर सर्दियों का मौसम आ रहा है, तो आप जहाँ बैठते हैं और जहाँ काम करते हैं, वहाँ के फर्नीचर को इस तरह लगाइए की आपको अच्छी धूप मिल सके। पहले से सोचकर रखिए कि ऐसे कौन से शौक हैं जो आप ठंड में भी घर से बाहर जाकर पूरे कर सकते हैं, जैसे की कसरत करना, सैर करना या बागबानी करना। हो सके तो, ऐसे गरम कपड़ों का इंतज़ाम कीजिए जिन्हें पहनकर आप बाहर ज़्यादा समय बिता पाएँ।

     अगर गर्मियों का मौसम आ रहा है, तो सावधान रहिए क्योंकि बहुत से लोग बाहर समय बिता रहे होंगे। भीड़ से बचने के लिए पहले से ही योजना बनाइए कि आप कहाँ और कब जाएँगे।

  •   कोविड से बचने के लिए सावधानी बरतिए

     बाइबल क्या कहती है: “मूर्ख बेफिक्र होता है और खुद पर ज़्यादा ही भरोसा करता है।”​—नीतिवचन 14:16.

     यह क्यों ज़रूरी है: कोविड-19 एक जानलेवा बीमारी है। अगर हम सावधानी न बरतें तो यह बीमारी हमें भी हो सकती है।

     इसे आज़माइए: समय-समय पर इस बात की जाँच करते रहिए कि आपके इलाके में जो हिदायतें दी जाती हैं, क्या आप उन्हें मान रहे हैं। और इस बात को भी ध्यान में रखिए की आप जो करते हैं उसका असर आप पर, आपके परिवार पर और दूसरों पर भी हो सकता है।

  •   परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को मज़बूत कीजिए

     बाइबल क्या कहती है: “परमेश्‍वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।”​—याकूब 4:8.

     यह क्यों ज़रूरी है: किसी भी परेशानी का सामना करने में परमेश्‍वर आपकी मदद कर सकता है।​—यशायाह 41:13.

     इसे आज़माइए: हर रोज़ परमेश्‍वर के वचन बाइबल का एक हिस्सा पढ़िए। ऐसा करने में बाइबल पढ़ने का शेड्यूल आपकी मदद कर सकता है।

 किसी यहोवा के साक्षी से बात कीजिए कि कोविड-19 महामारी के दौरान सभाएँ जारी रखने के लिए उन्होंने क्या इँतज़ाम किए हैं? उदाहरण के लिए, दुनिया-भर में साक्षी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए मंडली की सभाएँ, सालाना मनाया जानेवाला यीशु की मौत का स्मारक दिन और साल भर में होनेवाले सम्मेलन और अधिवेशन चला रहे हैं।

 बाइबल की आयतें जो महामारी से होनेवाली थकान में आपकी मदद कर सकती हैं

 यशायाह 30:15: “शांत रहो और मुझ पर भरोसा करो, तब तुम्हें हिम्मत मिलेगी।”

 मतलब: परमेश्‍वर की सलाह पर भरोसा रखने से आपको मुश्‍किल समय में शांत रहने में मदद मिलेगी।

 नीतिवचन 15:15: “दुखी इंसान के लिए सब दिन बुरे होते हैं, मगर जिसका मन खुश रहता है, उसके लिए तो हर दिन दावत है।”

 मतलब: अच्छी बातों पर ध्यान देने से आपको मुश्‍किल समय में खुश रहने में मदद मिलेगी।

 नीतिवचन 14:15: “नादान हर बात पर आँख मूँदकर यकीन करता है, लेकिन होशियार इंसान हर कदम सोच-समझकर उठाता है।”

 मतलब: इस महामारी के दौरान सेहत से जुड़ी जो भी हिदायतें दी जा रही हैं, उन्हें मानिए। किसी के कहने पर यह मत मान बैठिए कि अब सावधानी बरतना ज़रूरी नहीं है।

 यशायाह 33:24: “कोई निवासी न कहेगा, ‘मैं बीमार हूँ।’”

 मतलब: परमेश्‍वर वादा करता है कि वह हर तरह की बीमारियों को खत्म कर देगा।