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अध्याय पंद्रह

उसने अपने लोगों को बचाने के लिए कदम उठाया

उसने अपने लोगों को बचाने के लिए कदम उठाया

1-3. (क) एस्तेर अपने पति के सामने जाने से क्यों डरी होगी? (ख) हम एस्तेर के बारे में किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

एस्तेर के कदम जैसे-जैसे शूशन के महल के आँगन की तरफ बढ़ रहे थे, उसकी धड़कनें तेज़ हो रही थीं। उसने किसी तरह खुद को सँभालने की कोशिश की। मगर यह आसान नहीं था। राजमहल का नज़ारा भी ऐसा था कि देखनेवालों की साँसें थम जाएँ। महल की दीवारें और नक्काशियाँ रंग-बिरंगी और चमकदार ईंटों से बनी थीं। दीवारों पर कहीं पंखोंवाले बैलों की नक्काशी थी तो कहीं तीरंदाज़ों और शेरों की नक्काशी। पत्थर के बने खंभों पर खड़ी नलियाँ खुदी हुई थीं। जगह-जगह बड़ी-बड़ी मूरतें बनी थीं। यह महल एक ऊँची जगह पर, बर्फ से ढकी ज़ाग्रोस पर्वतमाला के पास बनाया गया था, जहाँ से कोअसपीज़ नदी का शुद्ध पानी बहता हुआ दिखायी देता था। महल को इतना आलीशान और शानदार इसलिए बनाया गया था ताकि जो कोई वहाँ के “महान राजा” से मिलने जाता उसे याद रहे कि वह किससे मिलने जा रहा है! एस्तेर उसी राजा से मिलने जा रही थी। वह उसका पति भी था।

2 शायद हमें इस बात से हैरानी हो कि एस्तेर ने राजा अहश-वेरोश जैसे आदमी से शादी की। ऐसे आदमी से शादी करने की बात कोई भी वफादार यहूदी लड़की सपने में भी नहीं सोच सकती थी। * वह कहाँ अब्राहम जैसी अच्छी मिसालों पर चलता, जिसने परमेश्‍वर के कहने पर नम्रता से अपनी पत्नी की बात मानी थी। (उत्प. 21:12) राजा, एस्तेर के परमेश्‍वर यहोवा और उसके कानून के बारे में कुछ नहीं जानता था। वह सिर्फ फारस के कानून के बारे में जानता था। उसी कानून में एक नियम था जिसमें उस काम की मनाही थी जो एस्तेर करने जा रही थी। वह काम क्या था? उस नियम में लिखा था कि अगर कोई बिन बुलाए फारस के सम्राट के सामने जाएगा तो उसे मौत की सज़ा दी जाएगी। एस्तेर को राजा ने नहीं बुलाया था, फिर भी वह उसके पास जा रही थी। जब वह अंदरवाले आँगन के पास पहुँची जहाँ वह राजगद्दी पर बैठे राजा को नज़र आती, तो उसे लगा होगा कि वह अपनी मौत की तरफ बढ़ रही है।​—एस्तेर 4:11; 5:1 पढ़िए।

3 एस्तेर ने यह खतरा क्यों मोल लिया? हम इस बेमिसाल औरत के विश्‍वास से क्या सीख सकते हैं? सबसे पहले आइए देखें कि वह फारस की रानी बनी कैसे जो कि एक अनोखी बात थी।

एस्तेर कौन थी?

4. (क) एस्तेर कौन थी? (ख) मोर्दकै ने क्यों उसकी परवरिश की?

4 एस्तेर एक अनाथ थी। उसके माँ-बाप के बारे में हम ज़्यादा कुछ नहीं जानते, बस इतना जानते हैं कि उन्होंने उसका नाम हदस्सा रखा था। इस इब्रानी शब्द का मतलब है “मेंहदी,” यानी एक सुंदर झाड़ी जिसमें सफेद फूल खिलते हैं। जब एस्तेर के माँ-बाप की मौत हुई तो उसके एक रिश्‍तेदार मोर्दकै ने उसकी देखभाल की। मोर्दकै एक भला इंसान था। हालाँकि वह एस्तेर का चचेरा भाई था, मगर उम्र में उससे बहुत बड़ा था। इसलिए उसने एस्तेर को अपनी बेटी की तरह पाल-पोसकर बड़ा किया।​—एस्ते. 2:5-7, 15.

एस्तेर में कई खूबियाँ थीं इसलिए मोर्दकै को उस पर नाज़ था

5, 6. (क) मोर्दकै ने एस्तेर को क्या सिखाया होगा? (ख) शूशन में एस्तेर और मोर्दकै की ज़िंदगी कैसी थी?

5 मोर्दकै और एस्तेर यहूदी बँधुए थे और फारस की राजधानी में रहते थे। वे जिस धर्म और कानून को मानते थे उसकी वजह से शायद उनके साथ थोड़ा-बहुत भेद-भाव किया गया होगा। एस्तेर को ज़रूर अपने भाई से गहरा लगाव हो गया होगा क्योंकि उसने उसे यहोवा के बारे में सिखाया कि वह कैसा दयालु परमेश्‍वर है जिसने गुज़रे वक्‍त में अपने लोगों को कई बार मुसीबतों से छुड़ाया था और वह आगे भी ऐसा करेगा। (लैव्य. 26:44, 45) एस्तेर और मोर्दकै प्यार के ऐसे बंधन में बँध गए कि वे एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ते।

6 ऐसा मालूम पड़ता है कि मोर्दकै, शूशन के महल में एक अधिकारी था और फाटक के पास राजा के दूसरे सेवकों के साथ बैठता था। (एस्ते. 2:19, 21; 3:3) एस्तेर जब बड़ी हो रही थी तो उसने अपना वक्‍त कैसे बिताया? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं बताती, फिर भी हम कल्पना कर सकते हैं कि उसने ज़रूर अपने भाई की और उसके घर की अच्छी देखभाल की होगी। वे शायद महल के पासवाली नदी के उस पार एक गरीब इलाके में रहते थे। शायद एस्तेर को शूशन के बाज़ार जाना अच्छा लगता होगा, जहाँ सोने-चाँदी की चीज़ें और दूसरे कीमती सामान की बिक्री होती थी। उन्हें देखते वक्‍त उसने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक दिन ऐशो-आराम की ये सारी चीज़ें उसके लिए आम बन जाएँगी। उसे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल जाएगी!

“उसका रंग-रूप देखते ही बनता था”

7. (क) वशती को क्यों रानी के पद से हटा दिया गया? (ख) इसके बाद क्या हुआ?

7 एक दिन शूशन की गली-गली में इस बात के चर्चे होने लगे कि राजा के घराने में कोई समस्या खड़ी हो गयी है। दरअसल हुआ यह कि राजा अहश-वेरोश ने अपने बड़े-बड़े अधिकारियों के लिए एक शाही दावत रखी जहाँ उनके लिए लज़ीज़ खाना और दाख-मदिरा पेश की गयी। फिर राजा ने अपनी खूबसूरत रानी वशती को बुलवाया जो औरतों के साथ अलग दावत का मज़ा ले रही थी। मगर वशती ने आने से इनकार कर दिया। राजा से यह अपमान सहा नहीं गया और वह आग-बबूला हो उठा। उसने अपने सलाहकारों से पूछा कि वशती को क्या सज़ा दी जाए। फिर यह फैसला हुआ कि उसे रानी के पद से हटा दिया जाए। इसके बाद राजा के सेवक पूरे देश में खूबसूरत कुँवारी लड़कियाँ ढूँढ़ने लगे ताकि उनमें से किसी एक को राजा अपनी रानी चुने।​—एस्ते. 1:1–2:4.

8. (क) जब एस्तेर बड़ी हो गयी तो मोर्दकै को क्यों चिंता हुई होगी? (ख) हम खूबसूरती के बारे में बाइबल की सलाह कैसे मान सकते हैं? (नीतिवचन 31:30 भी देखें।)

8 अब तक एस्तेर बड़ी हो चुकी थी। “वह बहुत खूबसूरत थी और उसका रंग-रूप देखते ही बनता था।” (एस्ते. 2:7) इसलिए हम कल्पना कर सकते हैं कि जब भी मोर्दकै एक पिता की तरह एस्तेर को प्यार से देखता होगा तो उसे गर्व महसूस होता होगा, मगर साथ ही उसे थोड़ी चिंता भी होती होगी। बाइबल हमें खूबसूरती के बारे में सही नज़रिया रखने का बढ़ावा देती है। यह बताती है कि एक इंसान की खूबसूरती मन को भाती है, मगर उसमें बुद्धि और नम्रता भी होनी चाहिए, वरना खूबसूरती की वजह से उसमें घमंड और दूसरे बुरे गुण पैदा हो सकते हैं। (नीतिवचन 11:22 पढ़िए।) क्या आपने कभी ऐसा होते देखा है? क्या एस्तेर की खूबसूरती उसके लिए फायदेमंद साबित होती या उसे घमंडी बना देती? यह तो वक्‍त ही बताता।

9. (क) जब राजा के सेवकों की नज़र एस्तेर पर पड़ी तो क्या हुआ? (ख) मोर्दकै से जुदा होना एस्तेर के लिए क्यों मुश्‍किल रहा होगा? (ग) मोर्दकै ने एस्तेर की शादी राजा से क्यों होने दी? (बक्स भी देखें।)

9 जब राजा के सेवक खूबसूरत लड़कियाँ ढूँढ़ रहे थे तो उनकी नज़र एस्तेर पर भी पड़ी। वे उसे मोर्दकै से जुदा करके नदी के पार शाही महल में ले गए। (एस्ते. 2:8) मोर्दकै और एस्तेर के लिए एक-दूसरे से जुदा होना बहुत मुश्‍किल रहा होगा, क्योंकि उनके बीच बाप-बेटी का रिश्‍ता था। मोर्दकै यह हरगिज़ नहीं चाहता कि उसकी यह बेटी किसी ऐसे आदमी से शादी करे जो झूठे देवताओं को पूजता है, फिर चाहे वह राजा ही क्यों न हो। मगर इस हालत में वह कुछ नहीं कर सकता था। * इससे पहले कि एस्तेर मोर्दकै से दूर जाती, मोर्दकै ने ज़रूर उसे कुछ सलाह दी होगी और एस्तेर ने उसे ध्यान से सुना होगा। जब उसे शूशन नाम के किले में ले जाया जा रहा था तो उसके मन में कई सवाल उठे होंगे। उसने सोचा होगा कि अब आगे उसकी ज़िंदगी कैसी होगी?

“जिस-जिस ने एस्तेर को देखा, उन सबको वह भा गयी”

10, 11. (क) एस्तेर पर नए माहौल का क्या असर पड़ सकता था? (ख) कैसे पता चलता है कि मोर्दकै को एस्तेर की बहुत चिंता थी?

10 अचानक एस्तेर को ऐसी दुनिया में पहुँचा दिया गया जहाँ उसे सबकुछ नया और अजीब लगा होगा। उसे फारस साम्राज्य के कोने-कोने से लायी गयी “कई जवान लड़कियों” के साथ रहना पड़ा। सबके रीति-रिवाज़, भाषा और रवैया एक-दूसरे से बिलकुल अलग था। उन सबको हेगे नाम के अधिकारी की निगरानी में रखा गया। अब एक साल तक उनका रंग-रूप निखारा जाता और तरह-तरह के खुशबूदार तेल से उनकी मालिश की जाती। (एस्ते. 2:8, 12) ऐसे में उन लड़कियों पर खूबसूरती का जुनून सवार हो गया होगा। साथ ही, उनमें दूसरों से बढ़कर दिखने और एक-दूसरे से होड़ लगाने की भावना पैदा हो गयी होगी। क्या एस्तेर पर भी ऐसा असर हुआ?

11 एस्तेर के बारे में मोर्दकै को जितनी चिंता रही होगी उतनी शायद ही किसी और को रही होगी। बाइबल बताती है कि वह एस्तेर का हाल-चाल जानने के लिए हर दिन औरतों के भवन के पास जाता था। (एस्ते. 2:11) और जब भी उसे एस्तेर के बारे में थोड़ी-बहुत खबर मिलती, शायद किले के किसी सेवक से, तो उसका सीना गर्व से फूल जाता होगा। क्यों?

12, 13. (क) एस्तेर ने कैसे सबका दिल जीत लिया था? (ख) मोर्दकै को यह जानकर क्यों खुशी हुई होगी कि एस्तेर ने किसी को नहीं बताया कि वह एक यहूदी है?

12 हेगे को एस्तेर इतनी अच्छी लगी कि उसने एस्तेर पर मेहरबानी की। उसने एस्तेर के लिए सात सेविकाएँ ठहरायीं और उसे औरतों के भवन में सबसे बढ़िया जगह दी। यही नहीं, “जिस-जिस ने एस्तेर को देखा, उन सबको वह भा गयी।” (एस्ते. 2:9, 15) क्या वह सिर्फ अपनी खूबसूरती की वजह से सबको भा गयी? नहीं बल्कि उसमें और भी खूबियाँ थीं।

एस्तेर जानती थी कि नम्रता और बुद्धि रंग-रूप से ज़्यादा अहमियत रखती है

13 मिसाल के लिए, बाइबल बताती है, “एस्तेर ने अपने लोगों या अपने रिश्‍तेदारों के बारे में किसी को नहीं बताया क्योंकि मोर्दकै ने उससे कहा था कि वह किसी से कुछ न कहे।” (एस्ते. 2:10) मोर्दकै ने एस्तेर को हिदायत दी थी कि वह किसी को न बताए कि वह एक यहूदी है, क्योंकि उसने बेशक देखा होगा कि फारस के शाही खानदान के लोग यहूदियों के साथ बहुत भेद-भाव करते थे। इसलिए मोर्दकै को यह जानकर कितनी खुशी हुई होगी कि एस्तेर उससे दूर रहते हुए भी उसकी बात मान रही है और बुद्धि से काम ले रही है!

14. आज जवान लोग एस्तेर की तरह कैसे बन सकते हैं?

14 आज जवान लोग भी एस्तेर की तरह अपने माता-पिता या उन लोगों का दिल खुश कर सकते हैं जो उनकी परवरिश करते हैं। जब वे अपने माता-पिता की नज़रों से दूर ऐसे लोगों के बीच होते हैं, जो बदचलन या खूँखार हैं या जिनके कोई उसूल नहीं होते, तो वे उनके रंग में रंगने से दूर रह सकते हैं और ऊँचे स्तरों को मान सकते हैं। जब वे ऐसा करते हैं तो वे एस्तेर की तरह स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता का दिल खुश करते हैं।​—नीतिवचन 27:11 पढ़िए।

15, 16. (क) एस्तेर ने कैसे राजा का दिल जीत लिया? (ख) एस्तेर के लिए नए माहौल में ढलना क्यों मुश्‍किल रहा होगा?

15 जब वह समय आया कि एस्तेर को राजा के सामने पेश किया जाए, तो वह अपनी खूबसूरती को और निखारने के लिए मनचाही चीज़ें माँग सकती थी। मगर एस्तेर अपनी मर्यादा में रही और हेगे ने उसे जो कुछ दिया उससे ज़्यादा उसने कुछ नहीं माँगा। (एस्ते. 2:15) शायद उसे एहसास था कि वह सिर्फ अपनी खूबसूरती से राजा का दिल नहीं जीत सकती। इसके बजाय, नम्रता और मर्यादा जैसे गुण ज़्यादा अनमोल हैं क्योंकि ये गुण उस दरबार में बहुत कम लोगों में थे। क्या उसकी सोच सही थी?

16 बाइबल बताती है, “राजा को एस्तेर भा गयी। वह उससे बहुत खुश हुआ और बाकी सभी कुँवारियों से ज़्यादा एस्तेर को चाहने लगा। उसने एस्तेर को शाही ओढ़नी पहनाकर वशती की जगह अपनी रानी बना लिया।” (एस्ते. 2:17) एस्तेर नम्र थी, इसलिए यह बड़ा बदलाव स्वीकार करना उसके लिए आसान नहीं रहा होगा कि अब वह उस ज़माने के सबसे ताकतवर सम्राट की नयी रानी है! क्या नया पद मिलते ही वह सातवें आसमान पर पहुँच गयी? बिलकुल नहीं!

17. (क) एस्तेर कैसे मोर्दकै की बात मानती रही? (ख) आज एस्तेर की मिसाल पर चलना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है?

17 रानी बनने के बाद भी एस्तेर अपने पिता समान मोर्दकै की बात मानती रही। उसने इस बात को राज़ रखा कि वह एक यहूदी है। इसके अलावा, जब मोर्दकै को पता चला कि अहश-वेरोश को जान से मारने की साज़िश की जा रही है और उसने एस्तेर से कहा कि वह राजा को यह बात बताए, तो एस्तेर ने आज्ञा मानते हुए राजा को खबर दी। नतीजा, साज़िश नाकाम हो गयी। (एस्ते. 2:20-23) इस तरह नम्र रहकर और आज्ञा मानकर उसने यह भी दिखाया कि वह अपने परमेश्‍वर पर कितना विश्‍वास करती है। एस्तेर की मिसाल पर चलना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि आज आज्ञा मानना ज़्यादातर लोगों को पसंद नहीं। आज्ञा तोड़ना और बगावत करना आम हो गया है! मगर सच्चा विश्‍वास रखनेवाले लोग एस्तेर की तरह आज्ञाकारी होने के गुण को बहुत अहमियत देते हैं।

एस्तेर के विश्‍वास की परीक्षा

18. (क) मोर्दकै ने हामान के आगे झुकने से क्यों इनकार कर दिया होगा? (फुटनोट भी देखें।) (ख) आज सच्चा विश्‍वास रखनेवाले लोग कैसे मोर्दकै की मिसाल पर चलते हैं?

18 अहश-वेरोश के दरबार में हामान नाम के आदमी को ऊँचा पद दिया गया। राजा ने उसे प्रधानमंत्री और अपना खास सलाहकार बना दिया, यानी अब पूरे साम्राज्य में राजा के बाद उसी का अधिकार होता। राजा ने यह हुक्म भी दिया कि इस अधिकारी को देखते ही सभी को उसके आगे झुककर उसे प्रणाम करना चाहिए। (एस्ते. 3:1-4) मगर मोर्दकै यह हुक्म नहीं मान सकता था। वह राजा की आज्ञा मानना अपना फर्ज़ समझता था, मगर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़कर राजा की आज्ञा मानना उसे मंज़ूर नहीं था। बात यह है कि हामान एक अगागी था। इसका मतलब शायद यह है कि वह अमालेकी राजा अगाग का एक वंशज था जिसे परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता शमूएल ने मार डाला था। (1 शमू. 15:33) अमालेकी लोग बहुत दुष्ट थे। वे यहोवा और इसराएल के कट्टर दुश्‍मन थे। परमेश्‍वर ने आज्ञा दी थी कि अमालेकियों की पूरी जाति का नाश कर दिया जाए। * (व्यव. 25:19) इसलिए एक वफादार यहूदी होने के नाते मोर्दकै एक अमालेकी के आगे कैसे झुक सकता था? वह अपने फैसले पर अटल रहा। आज तक सच्चा विश्‍वास रखनेवाले ऐसे कई लोग रहे हैं जिन्होंने इस सिद्धांत को मानने के लिए अपनी जान तक जोखिम में डाल दी: “इंसानों के बजाय परमेश्‍वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानना ही हमारा फर्ज़ है।”​—प्रेषि. 5:29.

19. (क) हामान क्या करना चाहता था? (ख) उसने राजा को कैसे कायल किया?

19 हामान गुस्से से भर गया! उसने ठान लिया कि वह मोर्दकै के साथ-साथ उसके सभी लोगों को मिटा देगा! तब जाकर ही उसे चैन मिलेगा। उसने राजा को भी अपनी तरफ कर लिया। उसने राजा के सामने यहूदियों की बुराई की ताकि उसे उनसे नफरत हो जाए। उसने यहूदियों का नाम नहीं लिया बल्कि कहा कि वे ‘एक ऐसी जाति के लोग हैं जो फैले हुए हैं।’ इस तरह उसने राजा को यह दिखाने की कोशिश की कि वे बहुत ही मामूली लोग हैं। और-तो-और उसने उन पर यह इलज़ाम लगाया कि वे राजा का कानून नहीं मानते, इसलिए उन बगावती लोगों से राजा को खतरा हो सकता है। हामान ने राजा से यह भी कहा कि पूरे साम्राज्य से यहूदियों को मिटाने में जितना भी खर्च होगा उसके लिए वह अपनी तरफ से एक बड़ी रकम राजा के खज़ाने में देने के लिए तैयार है। * यह सुनकर अहश-वेरोश ने अपनी मुहरवाली अँगूठी उतारकर हामान को दे दी ताकि उसने जो फरमान जारी करने को कहा है उस पर अँगूठी की मुहर लगा सके।​—एस्ते. 3:5-10.

20, 21. (क) हामान ने जो फरमान जारी करवाया उसका सभी यहूदियों पर और मोर्दकै पर क्या असर हुआ? (ख) मोर्दकै ने एस्तेर से क्या करने की गुज़ारिश की?

20 जल्द ही राजा के दूत घोड़ों पर सवार होकर साम्राज्य के कोने-कोने तक जाने लगे और यहूदियों की मौत का फरमान पहुँचाने लगे। ज़रा सोचिए, जब यह खबर दूर यरूशलेम पहुँची जहाँ यहूदी रहते थे तो उन पर क्या बीती होगी। वे बचे हुए यहूदी बैबिलोन की बँधुआई से लौटे थे और उस शहर को दोबारा बसाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे थे जिसके चारों तरफ अब भी हिफाज़त के लिए कोई दीवार नहीं थी। जब मोर्दकै को यह बुरी खबर मिली तो उसने शूशन में रहनेवाले अपने दोस्तों और रिश्‍तेदारों के साथ-साथ यरूशलेम के उन यहूदियों के बारे में भी सोचा होगा। वह इतना दुखी हो गया कि उसने अपने कपड़े फाड़े, टाट ओढ़ लिया, सिर पर राख डाली और शहर के बीचों-बीच फूट-फूटकर रोने लगा। मगर हामान राजा के साथ बैठकर शराब पी रहा था। उसकी वजह से शूशन में रहनेवाले इतने सारे यहूदियों और उनके दोस्तों में मातम का माहौल छा गया था, मगर इससे उसका दिल ज़रा भी नहीं पिघला।​—एस्तेर 3:12–4:1 पढ़िए।

21 मोर्दकै जानता था कि यहूदियों को बचाने के लिए उसे कुछ करना होगा। मगर वह क्या कर सकता था? एस्तेर ने उसकी हालत के बारे में सुना और उसे दिलासा देने के लिए उसे कपड़े भेजे ताकि वह टाट उतारकर उन्हें पहने। मगर मोर्दकै ने एस्तेर से दिलासा पाने से इनकार कर दिया। मोर्दकै लंबे समय से सोच रहा होगा कि उसके परमेश्‍वर यहोवा ने उसकी प्यारी एस्तेर को क्यों उससे जुदा होने दिया और झूठे देवताओं को पूजनेवाले राजा की पत्नी होने दिया। अब शायद उसे इसकी वजह समझ आने लगी। मोर्दकै ने रानी के पास संदेश भेजा कि वह अपने लोगों को बचाने के लिए कदम उठाए। उसने एस्तेर से गुज़ारिश की कि वह “अपने लोगों की खातिर” राजा से रहम की भीख माँगे।​—एस्ते. 4:4-8.

22. एस्तेर राजा के सामने जाने से क्यों डर रही थी? (फुटनोट भी देखें।)

22 जब एस्तेर ने यह संदेश सुना तो उसका दिल डूब गया होगा। अब उसके विश्‍वास की सबसे बड़ी परीक्षा होनेवाली थी। वह बहुत डर गयी और यह बात उसने मोर्दकै को साफ बतायी। उसने मोर्दकै को राजा का यह कानून याद दिलाया कि अगर कोई बिन बुलाए राजा के सामने जाएगा तो उसे मौत की सज़ा दी जाएगी। वह सिर्फ तभी बच सकता है अगर राजा उसकी तरफ अपना सोने का राजदंड बढ़ाएगा। एस्तेर के पास यह उम्मीद करने की कोई वजह नहीं थी कि उसके साथ कोई रिआयत की जाएगी। जब रानी वशती को राजा का हुक्म तोड़ने पर सज़ा दी गयी थी, तो एस्तेर को यह कानून तोड़ने पर कैसे बख्शा जाएगा? एस्तेर ने मोर्दकै को बताया कि पिछले 30 दिन से राजा ने उससे मिलने के लिए नहीं बुलाया है! राजा इतने दिनों से उस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, यह देखकर एस्तेर ने सोचा होगा कि कहीं राजा का दिल उससे उठ तो नहीं गया है, क्योंकि वैसे भी उसके मिज़ाज का कोई भरोसा नहीं था। *​—एस्ते. 4:9-11.

23. (क) मोर्दकै ने एस्तेर का विश्‍वास मज़बूत करने के लिए क्या कहा? (ख) मोर्दकै क्यों हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल है?

23 एस्तेर का विश्‍वास मज़बूत करने के लिए मोर्दकै ने सख्ती से बताया कि उसे क्या करना चाहिए। उसने पूरे यकीन के साथ कहा कि अगर एस्तेर कुछ नहीं करेगी तो यहूदियों का उद्धार किसी और तरीके से ज़रूर होगा। लेकिन अगर एक बार यहूदियों पर ज़ुल्म शुरू हो जाए तो एस्तेर भी बच नहीं पाएगी। इस तरह मोर्दकै ने दिखाया कि उसे यहोवा पर पक्का विश्‍वास था कि वह अपने लोगों को कभी मिटने नहीं देगा और उसके वादे ज़रूर पूरे होंगे। (यहो. 23:14) फिर मोर्दकै ने एस्तेर से कहा, “क्या पता, तुझे इसी दिन के लिए रानी बनाया गया हो?” (एस्ते. 4:12-14) क्या मोर्दकै हमारे लिए एक बढ़िया मिसाल नहीं? उसे अपने परमेश्‍वर यहोवा पर पूरा भरोसा था। क्या हमें भी भरोसा है?​—नीति. 3:5, 6.

मज़बूत विश्‍वास की वजह से वह मौत से भी नहीं डरी

24. एस्तेर ने कैसे विश्‍वास और हिम्मत दिखायी?

24 एस्तेर के लिए फैसले की घड़ी आ चुकी थी। उसने मोर्दकै के पास यह संदेश भेजा कि वह तीन दिन उपवास करेगी और मोर्दकै यहूदी लोगों को इकट्ठा करे ताकि वे भी उपवास करें। फिर उसने अपने संदेश के आखिर में एक ऐसी बात कही जो आज तक गूँज रही है: “अगर मैं मारी गयी, तो यही सही।” (एस्ते. 4:15-17) कितना विश्‍वास था उसमें और उसने क्या ही हिम्मत दिखायी! उन तीन दिनों के दौरान एस्तेर ने गिड़गिड़ाकर परमेश्‍वर से इतनी बिनतियाँ की होंगी जितनी उसने पहले कभी नहीं की होंगी। आखिरकार, राजा के सामने जाने का वक्‍त आ गया। उसने अपने सबसे बढ़िया शाही कपड़े पहने और इस तरह तैयार हुई कि राजा उसे देखकर खुश हो जाए। फिर वह राजा से मिलने गयी।

एस्तेर ने परमेश्‍वर के लोगों को बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली

25. जब एस्तेर अपने पति के सामने गयी तो क्या-क्या हुआ?

25 जैसे इस अध्याय की शुरूआत में बताया गया है, एस्तेर राजा के दरबार के पास जा रही थी। हम सोच भी नहीं सकते कि उस दौरान उसकी चिंताएँ कितनी बढ़ गयी होंगी और उसने मन-ही-मन खूब प्रार्थना की होगी। जब वह आँगन के अंदर गयी तो वहाँ से वह देख सकती थी कि अहश-वेरोश अपनी राजगद्दी पर बैठा है। उसने राजा का चेहरा पढ़ने की कोशिश की होगी। अगर उसे कुछ समय इंतज़ार करना पड़ा होगा तो एक-एक पल एक-एक साल लगा होगा। आखिरकार उसके पति ने उसे देख लिया। वह ज़रूर हैरान हुआ होगा। मगर फिर वह खुश हुआ और उसने अपना सोने का राजदंड एस्तेर की तरफ बढ़ाया!​—एस्ते. 5:1, 2.

26. (क) सच्चे मसीहियों को एस्तेर जैसी हिम्मत की ज़रूरत क्यों है? (ख) एस्तेर ने जो किया वह सिर्फ एक शुरूआत क्यों थी?

26 राजा, एस्तेर की बात सुनने के लिए तैयार हो गया। एस्तेर परमेश्‍वर की वफादार थी और अपने लोगों की जान बचाने के लिए उसने अपनी जान जोखिम में डाली। तब से लेकर आज तक वह परमेश्‍वर के सभी सेवकों के लिए विश्‍वास की एक अच्छी मिसाल रही है। सच्चे मसीही ऐसे लोगों की मिसाल से बहुत कुछ सीखते हैं। यीशु ने कहा था कि उसके सच्चे चेलों के बीच ऐसा प्यार होगा कि वे एक-दूसरे की खातिर अपनी जान तक देने को तैयार होंगे और यही उनकी पहचान होगी। (यूहन्‍ना 13:34, 35 पढ़िए।) ऐसा प्यार ज़ाहिर करने के लिए कई बार एस्तेर जैसी हिम्मत की ज़रूरत होती है। उस दिन जब एस्तेर ने परमेश्‍वर के लोगों को बचाने के लिए कदम उठाया तो यह सिर्फ एक शुरूआत थी। उसे आगे और क्या करना था? वह राजा को कैसे यकीन दिलाती कि उसका चहेता सलाहकार हामान एक दुष्ट और साज़िश रचनेवाला है? वह अपने लोगों को बचाने के लिए और क्या करती? इस बारे में हम अगले अध्याय में देखेंगे।

^ पैरा. 2 माना जाता है कि अहश-वेरोश, क्षयर्ष प्रथम था जिसने ई.पू. 496 से फारस के साम्राज्य पर राज करना शुरू किया था।

^ पैरा. 9 अध्याय 16 में यह बक्स देखें, “एस्तेर के बारे में सवाल।”

^ पैरा. 18 बचे हुए अमालेकियों को राजा हिजकियाह के दिनों में मार डाला गया था। (1 इति. 4:43) जो इक्के-दुक्के अमालेकी रह गए थे उनमें से शायद हामान भी एक था।

^ पैरा. 19 हामान ने 10,000 तोड़े चाँदी देने की पेशकश की, जो आज के हिसाब से करोड़ों डॉलर के बराबर है। यहाँ जिस अहश-वेरोश की बात की गयी है वह अगर क्षयर्ष प्रथम था तो हामान की पेशकश सुनकर उसका मन ज़रूर ललचाया होगा। क्षयर्ष को उस वक्‍त बहुत पैसों की ज़रूरत थी क्योंकि वह लंबे समय से यूनान पर हमला करने की सोच रहा था। बाद में उस युद्ध से उसे भारी नुकसान हुआ।

^ पैरा. 22 क्षयर्ष प्रथम इस बात के लिए जाना जाता था कि वह बहुत ही तुनक-मिज़ाज का था और गुस्सा होने पर खूँखार हो जाता था। यूनानी इतिहासकार हिरॉडटस ने इसकी कुछ मिसालें दर्ज़ की थीं। जब क्षयर्ष ने यूनान से युद्ध किया तो उस दौरान उसने हुक्म दिया कि हेलेस्पोन्ट जलसंधि में जहाज़ों को साथ रखकर पुल बनाया जाए। मगर फिर एक आँधी में वह पुल बरबाद हो गया। तब क्षयर्ष ने हुक्म दिया कि जिन कारीगरों ने वह पुल बनाया था उनका सिर काट दिया जाए। यहाँ तक कि उसने हेलेस्पोन्ट के पानी को भी “सज़ा” दी। उसने हुक्म दिया कि उस पानी को अपमान की बातें सुनायी जाएँ और उस दौरान उस पर कोड़े बरसाए जाएँ। उसी युद्ध के समय जब एक अमीर आदमी ने क्षयर्ष से बिनती की कि उसके बेटे को सेना में भर्ती होने से छूट दी जाए, तो क्षयर्ष ने उसके बेटे के दो टुकड़े करवा दिए और उसकी लाश की नुमाइश करवायी ताकि सबको सबक मिले।