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नौजवानों के सवाल

मैं जैसे-जैसे बड़ा हो रहा हूँ, यह मुझे क्या होने लगा है?

मैं जैसे-जैसे बड़ा हो रहा हूँ, यह मुझे क्या होने लगा है?

 “नौजवान होना लड़कियों के लिए मज़ेदार नहीं होता। इस दौरान बहुत दर्द होता है, गंदा लगता है और उलझन-सी होती है। सबकुछ बहुत बेकार-सा लगता है।”ओक्साना।

 “मैं एक पल खुश होता, तो दूसरे पल उदास। मुझे नहीं पता कि दूसरे लड़कों के साथ ऐसा होता है या नहीं, लेकिन मेरे साथ हुआ।”ब्रायन।

 बचपन से नौजवान होने तक का दौर एक रोलर कोस्टर (एक तरह का झूला, जिसमें गाड़ी पटरी पर ऊपर-नीचे चलती है) पर सवारी करने जैसा है। कभी मज़ा आता है, तो कभी डर लगता है। इस उम्र में आनेवाली मुश्‍किलों का आप कैसे सामना कर सकते हैं?

 बचपन से नौजवान होने तक का दौर कौन-सा है?

 सीधे-सीधे कहें, तो यह ज़िंदगी का वह दौर है जब आपके शरीर और भावनाओं में बहुत तेज़ी से बदलाव होते हैं और देखते-ही-देखते आप जवानी में कदम रख देते हैं। इस दौरान आपके हार्मोन में बड़े-बड़े बदलाव होते हैं और आपका शरीर इस काबिल बनने लगता है कि आप आगे चलकर बच्चे पैदा कर सकें।

 मगर इसका मतलब यह नहीं कि आप अभी माँ-बाप बनने के काबिल हैं। यह उम्र इस बात की निशानी है कि आप अपना बचपन पीछे छोड़ रहे हैं और नौजवान हो रहे हैं। इस नए बदलाव की वजह से शायद आप कभी उदास हों, तो कभी आगे होनेवाली बातों के बारे में सोचकर खुश।

 सवाल: आपके हिसाब से नीचे दी गयी कौन-सी उम्र में यह दौर शुरू होता है?

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 जवाब: ऊपर दी गयी किसी भी  उम्र में यह दौर शुरू हो सकता है।

 अगर आप 15 या 16 साल के हो गए हैं, फिर भी आपके अंदर कोई बदलाव नहीं हो रहे हैं, तो घबराइए मत। वहीं अगर आप 10 साल के भी नहीं हुए हैं और आपमें बदलाव होने शुरू हो गए हैं, तो भी मत घबराइए। बचपन से नौजवान होने तक का दौर कभी-भी शुरू हो सकता है, इसकी कोई तय उम्र नहीं होती। यह अपने समय पर शुरू होता है, इस पर किसी का ज़ोर नहीं चलता।

एक रोलर कोस्टर पर सवारी करने की तरह, बचपन से नौजवान होने तक के दौर में मज़ा भी आता है और डर भी लगता है। लेकिन आप इस उम्र में होनेवाले उतार-चढ़ाव का सामना करना सीख सकते हैं

 शरीर में बदलाव

 इस उम्र में होनेवाला एक बदलाव जो आम-तौर पर देखने में आता है, वह यह कि आपका शरीर अचानक बढ़ने लगता है। लेकिन समस्या यह है कि शरीर के सभी अंग एक ही रफ्तार से नहीं बढ़ते। ऐसे में अगर आपके हाव-भाव या चाल-ढाल आपको कुछ अजीब-सी लगे, तो परेशान मत होइए। कुछ समय बाद सब ठीक हो जाएगा।

 इस उम्र में शरीर में और भी कई बदलाव होते हैं।

 लड़कों में:

  •   लैंगिक अंगों का बढ़ना

  •   बगल, लिंग के आस-पास और चेहरे पर बालों का आना

  •   आवाज़ में बदलाव

  •   अपने आप लैंगिक अंग का उत्तेजित होना या सख्त हो जाना और सोते समय वीर्य का निकलना

 लड़कियों में:

  •   छाती का उभरना

  •   बगल और लैंगिक अंग के आस-पास बालों का आना

  •   माहवारी का शुरू होना

 लड़के-लड़कियाँ, दोनों में:

  •   शरीर से बदबू। यह पसीने और बैक्टीरिया की वजह से होता है।

     इसे आज़माइए: दिन में कई बार नहाइए और डियो (डियोड्रंट) या इत्र वगैरह लगाइए, जिससे शरीर की बदबू कम हो सकती है।

  •   मुँहासे। यह तेल पैदा करनेवाली ग्रंथियों में बैक्टीरिया के फँसने से होते हैं।

     इसे आज़माइए: मुँहासों को निकलने से रोकना आसान तो नहीं है, मगर बार-बार मुँह धोने और मुँह धोनेवाले साबुन वगैरह इस्तेमाल करने से थोड़ी रोक-थाम की जा सकती है।

 भावनाओं में बदलाव

 बचपन से नौजवान होने तक के दौर में हार्मोन के बढ़ने से शरीर में तो बदलाव होते ही हैं, लेकिन इससे आपकी भावनाओं पर भी गहरा असर पड़ता है। पल-पल में आपकी भावनाएँ बदल सकती हैं, कभी खुशी, तो कभी उदासी।

 “एक दिन आपको रोना आता है और दूसरे दिन आप ठीक रहते हैं। एक पल आपको बहुत गुस्सा आता है और दूसरे पल आप उदास हो जाते हैं और आपका मन करता है कि कमरे में ही बैठे रहें।”ओक्साना।

 इस दौर से गुज़रते वक्‍त बहुत-से बच्चे खुद के बारे में कुछ ज़्यादा ही सोचने लगते हैं। उन्हें लगता है मानो हर कोई उन्हें ही घूर रहा है और उनके बारे में ही सोच रहा है। यह बात भी सच है कि उनकी शक्ल-सूरत बदलती रहती है, जिस वजह से न चाहते हुए भी लोगों का ध्यान उन पर चला जाता है।

 “जब मैं बड़ी होने लगी, तो मैं जानबूझकर झुककर चलने लगी और ढीले-ढाले टॉप पहनने लगी। मैं जानती थी कि मेरे शरीर में क्यों बदलाव हो रहे हैं, फिर भी मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता था और शर्म भी आती थी। सब बड़ा अजीब लगता था।”जेनस।

 शायद आपमें जो सबसे बड़ा बदलाव आएगा, वह यह कि आप विपरीत लिंग के व्यक्‍ति को एक अलग ही नज़र से देखने लगेंगे।

 “पहले मैं सोचा करती थी कि सारे लड़के चिढ़ दिलाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं सोचती। अब मुझे कुछ लड़के अच्छे लगने लगे और ऐसा लगने लगा कि किसी से प्यार करने में कोई बुराई नहीं। जिसे देखो वह यही बात करता था कि कौन किसको पसंद करता है।”अलेक्सिस।

 इस उम्र में कुछ लड़कों को तो लड़के ज़्यादा अच्छे लगने लगते हैं और लड़कियों को लड़कियाँ ज़्यादा अच्छी लगने लगती हैं। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा होता है, तो यह मत सोचिए कि आप समलैंगिक हैं। ज़्यादातर देखा गया है कि इस तरह की भावनाएँ धीरे-धीरे खत्म हो जाती हैं।

 ‘मैं जब देखो तब अपनी तुलना दूसरे लड़कों से करता था। धीरे-धीरे वे लड़के मुझे अच्छे लगने लगे। बहुत समय बाद यानी जब मैं जवान हुआ, तब जाकर मुझे लड़कियाँ अच्छी लगने लगीं। अब मैं लड़कों को उस नज़र से नहीं देखता।’ऐलन।

 आप क्या कर सकते हैं?

  •    सही नज़रिया रखिए। इस दौर में आपके शरीर और आपकी भावनाओं में जो बदलाव होते हैं, वे ज़रूरी हैं। बाइबल में एक भजन लिखनेवाले दाविद ने जो कहा, उसे पढ़कर आपका यह भरोसा बढ़ेगा कि ये बदलाव अच्छे के लिए हैं। उसने कहा कि परमेश्‍वर ने उसे “लाजवाब तरीके से बनाया है।”—भजन 139:14.

  •   किसी से अपनी तुलना मत कीजिए और हर वक्‍त यही मत सोचते रहिए कि मैं कैसा दिखता हूँ। बाइबल में लिखा है, “इंसान सिर्फ बाहरी रूप देखता है, मगर यहोवा दिल देखता है।”—1 शमूएल 16:7.

  •   थोड़ी कसरत कीजिए और भरपूर नींद लीजिए। भरपूर नींद लेने से आपको चिड़चिड़ाहट नहीं होगी, तनाव कम होगा और आप उदास नहीं रहेंगे।

  •   खुद से पूछिए, क्या सच में हर कोई मुझे ध्यान से देखता है? अगर कोई आपमें हो रहे बदलाव को लेकर कुछ कह भी दे, तो भी बुरा मत मानिए। बाइबल सलाह देती है कि हर बात को दिल पर मत लीजिए।—सभोपदेशक 7:21.

  •   अपनी लैंगिक इच्छाओं को काबू में रखना सीखिए, ताकि आप कोई गलत काम न कर बैठें। बाइबल में लिखा है, “नाजायज़ यौन-संबंधों से दूर भागो! . . . जो नाजायज़ यौन-संबंधों में लगा रहता है वह अपने ही शरीर के खिलाफ पाप करता है।”—1 कुरिंथियों 6:18.

  •   अपने मम्मी या पापा से बात कीजिए या फिर किसी बड़े से जिस पर आप भरोसा करते हैं। उनसे बातचीत शुरू करना अजीब लग सकता है। लेकिन वे आपकी बहुत मदद कर सकते हैं।—नीतिवचन 17:17.

 सौ बात की एक बात: बचपन से नौजवान होने तक के दौर में मुश्‍किलें तो आती हैं। लेकिन यह दौर हर तरह से बढ़ने में आपकी मदद करेगा। आपकी कद-काठी बढ़ेगी, आप समझदार बनेंगे, अपनी भावनाओं पर काबू करना सीख पाएँगे और आप परमेश्‍वर के अच्छे दोस्त भी बन पाएँगे।—1 शमूएल 2:26.