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नौजवानों के सवाल

फिज़ूल खर्च करने से कैसे बचूँ?

फिज़ूल खर्च करने से कैसे बचूँ?

 “यह उस दिन की बात है। मैं बस कुछ देखने के लिए एक दुकान में गया। मेरा कुछ खरीदने का इरादा नहीं था। लेकिन मुझसे रहा नहीं गया और मैंने एक महँगी चीज़ खरीद ली।”​—कौलिन।

 कौलिन कबूल करता है कि उसे फिज़ूल खर्च करने की आदत है। क्या आपकी भी यही समस्या है? अगर हाँ, तो इस लेख से आपको ज़रूर मदद मिलेगी।

 फिज़ूल खर्च करने से क्यों दूर रहें?

 झूठ: इतना सोच-सोचकर पैसे खर्च करोगे तो आप कुछ भी नहीं खरीद पाओगे, वह चीज़ भी नहीं जिसकी आपको सच में ज़रूरत है।

 सच: ऐसी बात नहीं है! मेरी जेब खाली है! पैसों के बारे में सलाह देनेवाली किताब  (अँग्रेज़ी) बताती है, “जितना ज़्यादा आप सोच-समझकर खर्च करेंगे उतना ज़्यादा आपके पैसे बचेंगे और आप वे चीज़ें खरीद पाएँगे जो आप वाकई खरीदना चाहते हैं। इससे आपको आगे भी फायदा होगा।”

 ज़रा सोचिए: फिज़ूल खर्च न करने से . . .

  •   ज़रूरत पड़ने पर आपके पास पैसे होंगे। ईनेज़ नाम की एक लड़की कहती है, “मेरा बड़ा मन है कि एक दिन मैं दक्षिण अमरीका घूमने जाऊँ। इसी बात को ध्यान में रखकर मैं कुछ पैसे अलग रखने की कोशिश करती हूँ।”

  •   आप कर्ज़ में नहीं डूबेंगे। बाइबल बताती है, “उधार लेनेवाला, उधार देनेवाले का गुलाम होता है।” (नीतिवचन 22:7) आना नाम की एक नौजवान बाइबल की इस बात से सहमत है। वह कहती है, “कर्ज़ हमारा सुख-चैन छीन लेता है। लेकिन कर्ज़ से मुक्‍त होने से हम अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर लगाए रख पाते हैं।”

  •   आप दिखाते हैं कि आप ज़िम्मेदार बन गए हैं। जो नौजवान सोच-समझकर पैसे खर्च करते हैं, वे बड़े होने पर भी सोच-समझकर खर्च करेंगे। बीस साल की जीन कहती है, “मैं अभी से सीख रही हूँ कि अपने पैसों का सही इस्तेमाल कैसे करूँ। मैं जानती हूँ कि जब मैं अपने पैरों पर खड़ी होऊँगी, तो यह सीख मेरे बहुत काम आएगी।”

 सौ बात की एक बात: नौजवानों और कॉलेज विद्यार्थियों को पैसों के बारे में सलाह देनेवाली एक किताब बताती है, “ज़िम्मेदार इंसान बनने का सबसे अच्छा और पहला कदम है, पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना। यह एक ऐसा हुनर है जिससे आपको ज़िंदगी-भर फायदा होगा।”

 कैसे दूर रहें?

 अपनी कमज़ोरियाँ पहचानिए। अगर आपको लगता है कि आपके हाथ में पैसे नहीं रहते, तो सबसे पहले जानने की कोशिश कीजिए कि पैसे कहाँ खर्च हो रहे हैं। कुछ लोग ऑनलाइन शॉपिंग में ही सारे पैसे उड़ा देते हैं, तो कुछ एक ही बार में नहीं बल्कि थोड़ा-थोड़ा करके सारे पैसे खर्च कर देते हैं!

 “हर दिन की छोटी-मोटी चीज़ों में बहुत पैसे खर्च हो जाते हैं। जैसे, किसी के लिए तोहफा ले लिया, काफी शॉप में चले गए या घर का सामान लेते वक्‍त सेल पर लगी कोई और चीज़ खरीद ली। महीने के आखिर में मैं हैरान रह जाती हूँ कि सारे पैसे कहाँ चले गए।”​—हेली।

 बजट बनाइए। बाइबल बताती है, “मेहनती की योजनाएँ ज़रूर सफल होंगी।” (नीतिवचन 21:5) बजट बनाने से आप उतने ही पैसे खर्च करेंगे जितने आपके हाथ में हैं, उससे ज़्यादा नहीं।

 “अगर हम जितना कमाते हैं उससे ज़्यादा खर्च करते हैं, तो हमें देखना होगा कि हमारे पैसे कहाँ जा रहे हैं और फिज़ूल खर्च कम करना होगा। अगर कुछ चीज़ें खरीदना ज़रूरी है, तो हम थोड़ा इंतज़ार कर सकते हैं। जब हमारे हाथ में ज़्यादा पैसे आएँगे, तब हम उन्हें खरीद सकते हैं।”​—डानियेल।

 बजट के मुताबिक खर्च कीजिए। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे आप अपने पैसों का हिसाब-किताब रख सकते हैं और बेवजह पैसे खर्च करने से बच सकते हैं। कुछ नौजवानों ने ये तरीके आज़माए हैं:

  •  “मैं पैसे सीधे बैंक में जमा कर देता हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि अगर पैसे हाथ में रहें, तो खर्च हो जाएँगे।”​—डेविड।

  •  “जब मैं कुछ खरीदने जाती हूँ तो सिर्फ उतने ही पैसे ले जाती हूँ जितना कि ज़रूरी है। इस तरह मैं ज़्यादा खर्च नहीं करती।”​—एलन।

  •  “मैंने अकसर देखा है कि जब मैं कोई चीज़ खरीदने से पहले थोड़ा इंतज़ार करता हूँ, तो मैं अच्छी तरह सोच पाता हूँ कि मुझे उस चीज़ की सच में ज़रूरत है या नहीं।”​—जेसाया।

  •  “जब भी मुझे बाहर घूमने के लिए बुलाया जाता है, तो मैं हर बार जाना ज़रूरी नहीं समझती। अगर मेरे पास पैसे नहीं, तो मैं मना कर देती हूँ।”​—जैनिफर।

 सौ बात की एक बात: पैसे का सोच-समझकर इस्तेमाल करना एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। कौलिन का भी यही मानना है जिसका ज़िक्र शुरूआत में किया गया था। वह कहता है, “एक दिन मेरा अपना एक परिवार होगा और मुझे घर चलाना होगा। अगर मैं अभी से सोच-समझकर पैसे खर्च न करूँ, तो मेरी शादी-शुदा ज़िंदगी में कई मुश्‍किलें आएँगी।”

इसे आज़माइए: “जब आप बजट बनाते हैं, तो किसी को इसके बारे में बताइए। उससे कहिए कि वह समय-समय पर आपसे पूछे कि क्या आप अपने बजट के मुताबिक पैसे खर्च कर रहे हैं। फिज़ूल खर्च से बचने का यह एक अच्छा तरीका है!”​—वनेसा।