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नौजवानों के सवाल

ईमानदार क्यों रहें?

ईमानदार क्यों रहें?

 कुछ लोग बेईमान क्यों हैं

 आज के ज़माने में ऐसा लग सकता है कि ईमानदार रहने से नुकसान ही होगा। कुछ जवान कहते हैं:

  •   ‘अगर मैं मम्मी-पापा से झूठ न बोलूँ तो वे मुझ पर पाबंदियाँ लगा देंगे।’

  •   ‘अगर मैं इस इम्तिहान में नकल न मारूँ तो फैल हो जाऊँगा।’

  •   ‘अगर मैं यह चीज़ न चुराऊँ तो इसे खरीदने के लिए मुझे पैसों की बचत करनी होगी।’

 कुछ लोग शायद कहें, ‘वैसे भी क्या फर्क पड़ता है? क्या आजकल हर कोई बेईमान नहीं है?’

 उस सवाल का जवाब है नहीं।  कई लोग, यहाँ तक कि बहुत-से जवान भी मानते हैं कि ईमानदारी से फायदा होता है और ऐसा कहने की ठोस वजह भी है। बाइबल कहती है, “इंसान जो बोएगा, वही काटेगा भी।” (गलातियों 6:7) दूसरे शब्दों में कहें तो हम जो करते हैं उसका हमेशा कुछ-न-कुछ नतीजा होता है, चाहे अच्छा या बुरा।

 मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि कुछ लोगों को झूठ बोलने की वजह से कैसे बुरे अंजाम भुगतने पड़े।

  “किसी लड़के से बात करने के मामले में एक बार मैंने अपनी मम्मी से झूठ बोला था। मम्मी के पास पक्के सबूत थे कि मैं झूठ बोल रही थी। जब मैंने इस बारे में तीसरी बार झूठ बोला तो मम्मी को बहुत बुरा लगा। दो हफ्ते के लिए मुझे सज़ा दी गयी कि मैं कोई मन-बहलाव नहीं कर सकती और एक महीने तक सेल फोन इस्तेमाल करने और टीवी देखने पर पाबंदी लगा दी गयी। इसके बाद फिर कभी मैंने मम्मी-पापा से झूठ नहीं बोला!”—अनीता।

 ज़रा सोचिए: अनीता को अपनी मम्मी-पापा का भरोसा जीतने में थोड़ा वक्‍त क्यों लगेगा?

 बाइबल कहती है: “जब तुमने झूठ को अपने से दूर किया है, तो तुममें से हरेक अपने पड़ोसी से सच बोले।”—इफिसियों 4:25.

  “मैंने मम्मी-पापा से झूठ बोला था और सोचा था कि मैं बच गया। लेकिन कुछ वक्‍त बाद उन्होंने कहा कि मैं फिर से बताऊँ कि मैंने उनसे क्या कहा था। मगर मैंने ऐसी कहानी बनायी थी कि मुझे खुद ही याद नहीं आ रहा था कि मैंने क्या कहा था। इसलिए अगर हम शुरू में ही सच बोल दें तो बाद में ऐसी मुसीबत नहीं आएगी!”—ऐन्थनी।

 ज़रा सोचिए: ऐन्थनी इस तरह शर्मिंदा होने से कैसे बच सकता था?

 बाइबल कहती है: “झूठों से यहोवा को घृणा आती है, परन्तु जो विश्‍वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्‍न होता है।”—नीतिवचन 12:22.

  “मेरी एक सहेली है जो हमेशा अपनी कहानी मिर्च-मसाला लगाकर सुनाती है। कुछ बातें वह बढ़ा-चढ़ाकर कहती है और कुछ बातों का तो उसकी कहानी से कोई मतलब ही नहीं होता। मुझे वह लड़की बहुत अच्छी लगती है और कोशिश करती हूँ कि उसकी बातों पर ज़्यादा ध्यान न दूँ। लेकिन उसकी बातों पर यकीन करना या उस पर भरोसा करना बहुत मुश्‍किल है।”—ईवोन।

 ज़रा सोचिए: ईवोन की सहेली बढ़ा-चढ़ाकर बोलकर और झूठी बातें कहकर कैसा नाम कमा रही है?

 बाइबल कहती है: “हम सब बातों में ईमानदारी से काम करना चाहते हैं।”—इब्रानियों 13:18.

जैसे बुनियाद में दरार पड़ने से पूरी इमारत कमज़ोर पड़ सकती है, वैसे ही बेईमान होने से आपका अच्छा नाम खराब हो सकता है

 ईमानदारी क्यों फायदेमंद है

 अब ध्यान दीजिए कि ईमानदार रहने से आपको क्या फायदा हो सकता है।

  “एक बार जब मेरे आगे एक औरत चल रही थी तो उसके कुछ पैसे गिर गए। मैंने उसे बुलाया और उसके पैसे लौटा दिए। वह बहुत खुश हुई। उसने मुझसे कहा, ‘बहुत-बहुत शुक्रिया। तुम्हारे जैसे ईमानदार लोग बहुत कम मिलते हैं।’ मुझे बहुत अच्छा लगा कि उसने मेरी ईमानदारी की तारीफ की!”—विवयन।

 ज़रा सोचिए: उस औरत को ऐसी ईमानदारी देखकर क्यों हैरानी हुई? ईमानदार होने की वजह से विवयन को क्या फायदा हुआ?

 बाइबल कहती है: सुखी हैं वे जो सही काम करते हैं।—भजन 106:3.

  “हमारा पूरा परिवार मिलकर इमारतों की साफ-सफाई का काम करता है। कभी-कभी हमें किसी ऑफिस की साफ-सफाई करते वक्‍त फर्श पर कोई सिक्का पड़ा हुआ मिलता है। तब हम पासवाली किसी टेबल पर उसे रख देते हैं। एक बार तो वहाँ काम करनेवाली एक औरत यह देखकर चिढ़ गयी कि हम इतने ईमानदार क्यों हैं। उसने कहा, ‘यह बस एक सिक्का ही तो है!’ मगर पता है इसका नतीजा क्या हुआ? उस औरत को पूरा भरोसा हो गया कि हम ईमानदार लोग हैं।”—जूलिया।

 ज़रा सोचिए: जूलिया ने ईमानदार होने का जो नाम कमाया है, उसका उसे तब कैसे फायदा होगा जब उसे किसी और नौकरी के लिए कैरेक्टर सर्टिफिकेट की ज़रूरत होगी?

 बाइबल कहती है: “तू अपना भरसक कर ताकि खुद को परमेश्‍वर के सामने एक ऐसे सेवक की तरह पेश कर सके जो उसकी मंज़ूरी पाए और जिसे अपने काम पर शर्मिंदा न होना पड़े।”—2 तीमुथियुस 2:15.

  “मैंने 64 घंटे काम किए थे मगर मुझे तनख्वाह में 80 घंटों का चैक दिया गया। अगर मैं वह चैक रख लेती तो मुझे बहुत फायदा होता, मगर मैं ऐसा करने की सोच भी नहीं सकती थी। इसलिए मैंने अकाउंटिंग मैनेजर को बताया कि मुझे ज़्यादा रकम मिल गयी है। वह बहुत खुश हुई। कंपनी अच्छी तरक्की कर रही थी, फिर भी मैं वह पैसे नहीं रख सकती थी क्योंकि वे चोरी के पैसे के बराबर थे।”—बैथनी।

 ज़रा सोचिए: किसी कंपनी के पैसे चुराना क्या किसी इंसान के पैसे चुराने से कम बेईमानी है?

 बाइबल कहती है: “यहोवा कुटिल [कपटी] से घृणा करता है, परन्तु वह अपना भेद सीधे लोगों पर खोलता है।”—नीतिवचन 3:32.